Sunday 21 July 2013

हम भारत का खाते हैं तो

हम भारत मे, रहते हैं तो,
हम भारत वासी, पहले हैं
दुश्मन यदि, आंख दिखाये तो,
हम सब नहले, पे दहले हैं

हम भारत का, खाते हैं तो,
हम भारत के हित, की बात करें
लड़ना हो यदि, कभी हमे तो,
अपने देश के, लिये लड़ें

हम चाहे किसी भी, धर्म के हों,
पर हमे देश के, धर्म को निभाना है
हिन्दू-मुस्लिम या, सिक्ख,इसाई,
पर हमे पहले, भारतीय कहलाना है

बिभिन्नता मे, बसी एकता,
यह भारत की, अलग पहचान है
सभी धर्मों का, संगम है यहां,
और हमारा, भारत देश महान है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-07-2013,monday,3am,

pune,maharashtra.