जिया बेकरार, बा ना...
सखी रिमझिम त, अइसन बरसात बा,
जिया बेकरार, बा ना....
सखी सावन क, अइसन.......२
झुला पड़ा, चारों ओर ।
नाचे मोर, चहुं ओर ॥
लागत प्रेम, क डोर ।
दिल में होत, बा अजोर ॥
सखी मन त, हमार तो, पतंग भा..
जिया बेकरार, बा ना....
सखी सावन क, अइसन.......२
घटा घेरे, घनघोर।
पानी बरसे, बड़ा जोर ॥
देखो पपिहा, करे शोर ।
दादुर बोले, जोर-जोर ॥
सखी रहि-रहि के, बिजुरी चमकात बा...
जिया बेकरार, बा ना....
सखी सावन क, अइसन.......२
चारों ओर बा, हरियाली ।
खुश हो रहल, बा माली ॥
कहीं होत बा, बोआई ।
कहीं धान क, रोपाई ॥
सखी हिल-मिल के, गीत त गवात बा...
जिया बेकरार, बा ना....
सखी सावन क, अइसन.......२
जेके पिया हैं, परदेश ।
ओके सावन, लागे जेठ ॥
ना ही सजते, उनके केश ।
ना ही बढ़ियां, सा बेष ॥
सखी बिरहिनि के, सावन न, सोहात बा....
जिया बेकरार, बा ना...
सखी सावन क, अइसन बहार बा,
जिया बेकरार, बा ना...
सखी रिमझिम त, अइसन बरसात बा,
जिया बेकरार, बा ना....
सखी सावन क, अइसन.......२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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07-08-2013,wednesday,7.35pm,
pune,m.h.