Wednesday 22 February 2023

"शिव स्तुति""अश्वधाटी छंद"


"शिव स्तुति"

"अश्वधाटी छंद"

SS ISl l l SS lSl l l SS lSl l l S


आए त्रिलोचन रमाए भभूत तन भाए ललाट शशि हो।

खाए धतूर हर पिए हलाहल बनाए श्मशान घर हो।।

ध्याए सियापति बढ़ाए जटा सिख लुभाए सुजान मन हो।

खेएँ तरी शिव मिटाए सभी दुःख दिलाएं महान सुख हो।।


धारे त्रिशूल मतवारे भुजंग जयकारे करें सब जने। 

जारे अनंग रखवारे चराचर अधारे व्यथा सब हने।।

न्यारे वही जग अधारे सदाशिव पुकारे उद्धार करने।

प्यारे गिरीश जग तारे तुम्ही व  पधारे बियाधि हरने।।2।।


धारी किरीट शशि वारी उमा उजियारी महान छवि हो।

भारी महेश सुखकारी सुजान दुखहारी महान कवि हो।।

तारी भुलोक मदनारी लजात करतारी महान रवि हो।

हारी उमा हिय पियारि लगे शिव पुरारी महान हवि हो।।3।।

जारी सती तन पियारी महेश सुकुमारी पिता हवन में।

प्यारी उमा गिरि कुमारी गणेश महतारी बसे भवन में।।

धारी कपर्दक उदारी सुरेश अवतारी फिरे भुवन में।

घोरी विलक्षण सवारी बना वृष  पुरारी रहें अवन में।।4।।


दानी शिरोमणि शिवानी सुजान पति बानी कहे रसभरी।

ध्यानी गिरीश वरदानी जटाधर दिवानी लगे गिरि परी।।

ज्ञानी महाप्रभु सयानी उमा सह मशानी रटे नित हरी।

भीनी सुगंध हर धानी उमा पट कहानी सती शिव खरी।।5।।

कवि मोहन श्रीवास्तव 

रचना क्रमांक:- 1308

Rewised 20.02.2023

SS ISl l l SS lSl l l SS lSl l l S