Monday 18 March 2024

"राधा कृष्ण की होली" दोहे

"राधा कृष्ण की होली"


राधा जी मकरंद हैं, लूटें कृष्ण पराग।
लिपट लिपट कर खेलते, यमुना तीरे फाग।।


श्याम रंग में डूबते, राधा के सब अंग।
गोरी राधा से हुए, मोहन मस्त मलंग।।


बरसाने टोली चली, खेलन होली आज।
ग्वालबाल संग श्याम लखि, राधा आवे लाज।।


मोहन पिचकारी लिए, जाते राधा पास।
भागी जाएं राधिका, मन में है उल्लास।।


लिन्ह पकड़ हैं राधिका, श्याम कसे भुजबंध।
लट कपोल रगड़ें किसन, करें बहुत हुड़दंग।।


कटि बांधे पीताम्बरी, कसे वेणु निज श्याम।
मोर पंख है सीस पर , लगते सुख के धाम।।


श्याम प्रीत के रंग में, राधा जाए डूब।
इक दूजे पे रंग से, होली खेलें खूब।।


पिचकारी की मार से, राधा हुईं बेहाल।
पाकर मोहन प्रेम को, हो गइ मालामाल।।


भीगी चूनर राधिका, पीताम्बर घनश्याम।
रंगों की बौछार से, यमुना हुई ललाम।।


जमुना जल में धो रहे, दोनों अपना रंग।
मोहन राधा रंग से, जमुन हुई सतरंग।।


होली के सब रंग को , धोएं राधा श्याम।
मोद युक्त यमुना हुई, छवि निरखत अभिराम।।


होली की शुभकामना, आप सभी को मीत।
सतरंगी जीवन रहे, बढ़े सभी में प्रीत।।
कवि मोहन श्रीवास्तव
12.03.2023
Mahuda,jheet,patan durg Chhattisgarh
1367