Sunday 3 September 2023

छन्द : "चामर""है स्वतंत्र तंत्र और पुष्ट देश हो रहा"

छन्द : "चामर"

"है स्वतंत्र तंत्र और पुष्ट देश हो रहा"

रोम रोम में रहे सदा स्वदेश भावना।
राष्ट्रवाद से बड़ा विशेष हो न कामना।।

विश्व के गुरू बनें यही सदैव चाह हो।
देश हेतु वक्ष में सदा भरे उछाह हो।।

देश के सुता सपूत नित्य शोध को करें।
ज्ञान ध्यान से उड़ान अंतरिक्ष में भरें।।

व्योम सिन्धु भूमिलोक वा पहाड़ नापते।
हिन्द के जवान देख शत्रु झुण्ड कांपते।।

अंतरिक्ष रेल पोत वायुयान में बढ़ें।
एवरेस्ट कूट पे अनेक साहसी चढ़ें।।

वर्तमान हिन्द नित्य श्रेष्ठ मान पा रहा।
विश्व आज भारती पुराण वेद गा रहा।।

बेटियां चला रहीं सभी विमान यान हैं।
वेद शिल्प योग ज्ञान में सदैव ध्यान है।।

खेल कूद राजनीति अर्थ धर्म रीति में।
योगदान दे रहीं विदेश देश नीति में।।

नारि शक्ति राष्ट्र भक्ति में सदा लगी हुई।
सैन्य की कमान थाम अस्त्र से सजी हुई।।

भूमिपुत्र खेत में करें नए प्रयोग हैं।
नित्य यन्त्र से अगाध्य शस्य लेत लोग हैं।।

योजना किसान हेतु भांति भांति के बने।
लाभ लें अपार मोद में रहें बने ठने।।

और योजना अनेक लोक लाभ के लिए।
उच्च स्वास्थ लाभ प्राप्ति से सभी सुखी जिएं।।

अन्न लाभ देश के सुपात्र लोग पा रहे।
द्रव्यलाभ से नवीन रोजगार आ रहे।।

नीर गैस दामिनी सदैव लब्ध आज है।
राष्ट्र भक्ति में प्रवृत्त हो रहा समाज है।।

ज्ञान केंद्र में अनेक शोध नित्य हो रहे।
जाति पात ऊंच नीच पंथ भेद खो रहे।।

जो निवासहीन थे मिले उन्हें निवास हैं।
राष्ट्र के विकास के लिए सभी प्रयास हैं।।

यान उच्च कोटि और श्रेष्ठ मार्ग हैं बने।
भारतीय विश्व में गर्व से खड़े तने।।

भिन्न भिन्न यान आज अंतरिक्ष मे उड़े।
भौम चंद्र सूर्य भेज शुक्र यान भी खड़े।।

शासकीय तन्त्र से अनेक काम हो रहे।
देश के ललाट के कलंक और धो रहे।।

चीन क्षीण हीन और पाक दीन रो रहा।
है स्वतंत्र तंत्र और पुष्ट देश हो रहा।।

ध्वस्त बाबरी हुआ अभीष्ट काम हो गए।
दिव्य भव्य धाम में प्रविष्ट राम हो गए।।

ज्ञानवापि काशिनाथ मार्ग भी प्रशस्त है।
कृष्ण जन्म भूमि मुक्ति हेतु भक्त व्यस्त हैं।।

विश्व आज श्रेष्ठ राम नाम गीत गा रहा।
कृपालु राम चन्द्र का सनेह नित्य पा रहा।।

कवि मोहन श्रीवास्तव