ईश्वर ने जिन -जिन की संरचना की,
उन सब के अलग स्थान हैं!
मानव-पशु-पक्षी या हों परिंदे,
उन सब की अलग पहचान है!!
गिद्धों को देखो भाई,
वे कितने अच्छे होते हैं,!
मरे हुए जीवों को खाकर,
वे वातावरण को सुरक्षित रखते हैं!!
सूअर को देखते हैं नफ़रत से,
पर ऊपकार ए हम पे कर जाते!
गन्दी वस्तुवों को खा-खा कर,
गन्दगी की सफ़ाई कर जाते!!
वास्तव मे ए कोइ बुरे जीव नही,
ए प्रकॄति के स्थाई मेहतर हैं!
जो गन्दगी फ़ैलाते हैं समाज मे,
उनसे तो कहीं ए बेहतर हैं!!
मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-०६/०३/२०१०, शनिवार,प्रातः ४ बजे
कोंडागांव, बस्तर, (छत्तीसगढ)
!
No comments:
Post a Comment