होगा कैसा, नया साल,
जब धरती पे, आभा उतरेगी ।
चिड़ियों के, किलकरियों के बीच,
जब नई सुबह, जब गुजरेगी ॥
सुरज की, लालिमा आने से,
अंधेरा दूर, हो जायेगा ।
कलियों के, खिलने से ही,
जो कली थी, फूल बन जायेगा ॥
खुशियों से भीगा, होगा नया साल,
जो सारे जहां मे, रोशनी लायेगा ।
दुश्मनी को जड़ से, मिटा कर के,
लोगों मे प्यार, जगायेगा ॥
नई उमंग व नया तरंग,
जन-जन मे, उत्साह भरा होगा ।
बैग्यानिक,आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र मे,
भारत का नाम, बढ़ा होगा ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
19-12-1999,sunday,12.30pm,
chandrapur,maharashtra.
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