जब वक्त बुरा हो जाता है,
तो अपने भी पराये हो जाते ।
विधि भी विपरीत हैं हो जाते,
दुश्मन भी सवाये हो जाते ॥
जिनसे मिलता था कभी प्यार हमें,
उनके दिल मे नफरत भर जाता ।
कर रहे हों भलाई हम उनका,
पर उन्हें बुराई ही समझ आता ॥
कई तरह से आती है विपदा,
जो घुट-घुट कर सहते रहते ।
अपमान बहुत सहना पड़ता,
जो हम सोच भी नहीं सकते ॥
सोच-समझ के जितना भी चलें,
पर हर जगह ठोकर है मिला करता ।
हर पल होते हैं अपशकुन,
और दिल तो हमेशा जला करता ॥
ईश्वर का ध्यान सदा हो दिल मे,
और उनमें ही विश्वाश हो ।
सदा सत्य पर चलते रहे, तब ,
बुरा वक्त भी हमारा दास हो ॥
पर जीत सदा मिलती है उन्हें,
जिनको सहने की आदत हो ।
बुरा वक्त भी गुजर जाता,
बस मुश्किलों से लड़ने की चाहत हो ॥
जब वक्त बुरा हो जाता है,
तो अपने भी पराये हो जाते ।
भगवान भी साथ नहीं देते,
दुश्मन भी सवाये हो जाते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
06-12-2013,Friday,12:30PM,(811),
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