पीतीं हैं गम को आप हसती हुई,
दर्द होता है तो आप मुस्काती हैं ।
प्यार से कोई दे यदि जहर आपको,
आप हसती हुई उसको पी जाती हैं ॥
आप विश्वाश कर लेती जल्द ही,
लोगों की विष भरी बातें पी जाती हैं ।
आप हैं कि किसी से भी डरती नही,
बातें करने मे
फ़िर आप शर्माती हैं ॥
कन्धों पर भार हो आप के कितना भी,
आप हसती हुई उसको ढो लेती हैं ।
दुख भरे आंसू हों आप की आखों मे,
आप हसती हुई दिल से रो लेती हैं ॥
आप नाराज होती कभी भी नहीं,
आप गुस्से को भी हस के पी जाती हैं ।
आप मायुश होती कभी भी नहीं,
आप मुस्का के औरों मे रह जाती हैं ॥
घायल सी कर रही ये अदा आपकी,
आप अपने भी संग मे तो मुस्काइए !
हो मुस्कुराहट भरी जिन्दगी आप की,
आप ऐसे ही पल-पल तो मुस्काइए !!
पीतीं हैं गम को आप हसती हुई,
दर्द होता है तो आप मुस्काती हैं ।
प्यार से कोई दे यदि जहर आपको,
आप हसती हुई उसको पी जाती हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१९-३-२०१३,मंगलवार, प्रतः ५ बजे,
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