भर पेट के राशन जो हम है खाते,
फिर पेट पे हाथ फिराते है ।
कभी सोचा है क्या हमने,
ये कैसे उगाये जाते है ॥
चावल-दाल और तिलहन,
सब्जी,फल या दूध हो ।
वो खेती के फसल सभी,
या गन्ने का जूस ही हो ॥
इन सबको उगाने वाले ये,
जो मेहनती किसान है ।
धरती को सीचते अपने पसीने से,
इसीलिये ये महान है ॥
उसर,बँजर,उबड,खाबड,
ये धरती को खेत बनाते ।
बहुत बडी मेहनत से,
ये उसमें फसल उगाते ॥
चाहे जाड़े की ठडंक हो,
या जेठ की तपती धूप बहुत ।
चाहे बारिस का पानी हो,
पर काम ये करते परिवार सहित ॥
इतना मेहनत करके भी,
इन्हे फसल का उचित ईनाम नही मिलता ।
इस चका चौध दुनिया में देखों,
उतना किसानो को सम्मान नही मिलता
इस चका चौध दुनिया में देखों,
उतना किसानो को सम्मान नही मिलता ॥
चित्र ; गूगल से साभार लिया गया ।
चित्र ; गूगल से साभार लिया गया ।
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
19-01-2014,Sunday,04:30pm
(835)
Pune,M.H.
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
No comments:
Post a Comment