Friday, 24 August 2018

"कालिका कराल काल, गले नर मुण्डमाल "

कालिका कराल काल, गले नर मुण्डमाल 
करती रुधिर पान और अट्हास है | 
जिव्हा ज्वलिनी  ज्वाल, नयना हैं लाल लाल 
शत्रुओं का प्रतिपल करती विनाश है || 
भक्तों की करती जय, पापियों की करे क्षय 
रक्तबीज जैसों से बुझाती निज प्यास है | 
भक्तों के लिए है ढाल, वैरियों के लिए काल 
महाकाली हमको तो तुमपे ही आस है || 

कवि मोहन श्रीवास्तव

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