तोटक छंद
( I I S I I S I I S I I S )
जबसे तुमको हम ध्याय रहे ,
( I I S I I S I I S I I S )
जबसे तुमको हम ध्याय रहे ,
तब से जग मोह समान लगे |
हर जीव बिना तुम होत दुखी ,
सब ओर जहान मसान लगे ||
अब नाथ दया कर दो हमपे ,
सब छोड़ तुम्हे नित ध्यान करें |
बस आस तुम्ही पर हो गहरा ,
जब याद करें तब आंख भरें ||
धन दौलत की अब चाह नहीं ,
कहता जग क्या परवाह नही |
जन मानस जान सके न तुम्हें ,
तुम सागर हो तव थाह नही ||
हमसे यदि हो गलती फिर भी ,
तब नाथ हमें तुम माफ़ करो |
मन में अभिमान जगे जब भी ,
अपराध क्षमा दिल साफ करो ||
हम दीन दुखी असहाय सुनो ,
तुम आदि अनादि अनंत पिया |
जग पे उपकार तुम्ही करते ,
तुमसे बढ़के न कहीं रसिया ||
जबसे तुमको हम ध्याय रहे ,
तब से जग मोह समान लगे |
हर जीव बिना तुम होत दुखी ,
सब ओर जहान मसान लगे ||
कवि मोहन श्रीवास्तव
http://kavyapushpanjali.blogspot.com/2018/10/blog-post.html
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