"संसार के आधार हैं वो"
हरिगीतिका छंद ( SSIS SSIS S SIS SSI S )
संसार के आधार हैं वो , ज्ञान के भंडार हैं |
आकाश में पाताल में , वो शांत पारावार हैं ||
ब्रह्माण्ड में हैं व्याप्त सारे ,वेद के वो सार हैं |
औतार लेके तारते हैं , मोक्ष के ही द्वार हैं ||
सारे जहाँ में वो समाये , बात ये भी मानिये |
पाते सुखों को ध्या रहे जो , वो सभी में जानिये || .
जो जान के अंजान होते , नाम लेते हैं नहीं |
वो क्लेष पाते हैं सदा ही ,बात ये मानो सही ||
ब्रह्मा विष्णू वो ही त्रिधामा , देवता ये एक हैं |
जो भी करे हैं ध्यान पूजा , ईश सारे एक हैं ||
लेते उन्हीं का नाम सारे , जान या अंजान में |
पाते कृपा हैं नाथ के वो , हों किसी भी स्थान में ||
प्यारे दुलारे जीव सारे ,नाथ को जो मानते |
माता पिता के रूप जैसे ,बालकों को पालते ||
जो छोड़ के सारा जमाना , आपको ही ध्यानते |
इच्छा सभी की पूर्ण होती , आप ही हैं साधते ||
कवि मोहन श्रीवास्तव
रचना क्रमांक ;- ( 1126 )
23 . 11 . 2018
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