जो दुश्मन की चाल ना थे समझ पाए ।
मीठा जहर वो पिला रहा था,
उसकी बातों को वे ना समझ पाए॥
कर रहे थे यात्रा बस से वे,
उसका पिछला इतिहास नही देखे ।
उसकी कुटिल मुस्कानों के पिछे,
कांटों का झाड़ नही देखे ॥
आखें खुली थी हमारी तब,
जब दुश्मन अन्दर घुस आए ।
कुंभकर्ण की नींद मे सोए थे हम,
जब आखें खुली तो पछताए ॥
पर मार भगाये थे हम उनको,
तब अपनी भुमि छुड़ाये थे हम ।
अपने कुछ वीरों की आहुति देकर,
सीमा पर तिरंगा फहराये थे हम ॥
तब पाकी समझ गये थे कविवर को,
कोमल है ,पर कठोर भी है ।
दोस्तों के लिए वो दोस्त है,
पर दुश्मनों के लिये तो वो बोझ भी है ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
rewised
on,22-06-2013,saturday,
raipur,chhattisgarh.
6 comments:
Jo saaf dilkaa hota hai vo dushamanki kutil niti samaj nahi pata, jab sanajme atahai tab bahot der ho gai hoti hai.
एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी …
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
anila patel ji w sanjay bhaskar ji.
aap dono ka dil se aabhar.sanjay ji thoda mujhe computer ka knowledge kam hone se mai apni kavitaon ko naya roop nahi de pata hu,lekin aapka salah bahut achha hai.mai koshish karunga. dhanyawad
अटल जी मेरे प्रिय नेताओं में से एक हैं उन की कविताओं को भी मेने पढा हैं । उनके ऊपर कविता लिखने के लिए .......आभार
सावन कुमार जी,
आप का दिल से आभार, वास्तव मे अटल जी एक महान नेता हैं.
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