आलू सब्जियों का राजा,
तो मिर्ची सब्जी की रानी ।
गोभी,बैगन की बात ही क्या,
पर टमाटर का ना कोई शानी ॥
पालक,मेथी,चौराई,
और हरा साग सबको भाता ।
चाहे जैसा सब्जी हो,
पर सबका धनिया स्वाद बढ़ाता ॥
मूली,शलजम,गाजर,अदरक,
प्याज व लहसुन किसी से कम है नही ।
चिचिन्धा,परवल,लौकी,तोरई,
पर कटहल,सूरन मे भ्रम हो नही ॥
मशरुम,चुकन्दर व कुनुरु,
शिमला मिर्च भी मन को भाये ।
हरा मटर व चना की सब्जी,
प्यार से सब कोई खाये ॥
सब्जियां होती कई तरह की,
पर बिधि पुर्वक इन्हें बनाया जाए ।
फिर खाने के बाद इन्हे,
पेट पे हाथ फिराया जाए ॥
फिर खाने के बाद इन्हे,
पेट पे हाथ फिराया जाए ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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दिनांक-०२-०६-२०१३,रविवार,
शाम-७ बजे,
पुणे,महाराष्ट्र
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