(प्रिय सम्माननीय मित्रों,
सादर प्रणाम व नमस्ते,
आप सभी को माँ ताप्ती अपनी निर्मल धारा के समान आपके जीवन में भी सदा खुशहाली प्रदान करे...धन्यवाद)
नदियों के देश हमारे भारत में,
कई पुण्य दायिनी नदिया हैं ।
पर मोक्षदायिनी सूर्यपुत्री ताप्ती,
जिसके शनिदेव जी भइया हैं ॥
अषाढ़ शुक्ल सप्तमी के दिन,
माँ ताप्ती का अवतार हुआ ।
बेतुल जिले के मूलताई से,
इनका अबिरल प्रबाह हुआ ॥
बारहलींग नामक स्थान,
जो राप्ती नदी के तट पर स्थित है ।
भगवान श्रीराम जी के द्वारा,
जो त्रेता युग मे प्रतिष्ठित है ॥
सूर्य,ताप्ती,धर्म,पाप,
नारद,शनि,नागाबाबा प्यारा ।
ये सात कुण्ड जो इसी के तट पर,
जिनका महिमा बहुत ही है न्यारा ॥
जीवन दायिनी छायापुत्री,
और इसके तट के वासी महान है ।
एम.पी,महाराष्ट्र,गुजरात के भू-भागों को,
जो देती जल की दान है ॥
इसी के तट पर शाण्डिल्य ऋषी की तपोभूमि,
जो शांडिया गांव से जाना जाता ।
आभोरा,तावा,ताप्ती नदी के मध्य,
यहीं पे श्रवणतीर्थ भी है आता ॥
कपिल मुनि जी का आश्रम,
जहां कपिला गाय का निवास हुआ करता ।
पारसडोह है जिसका नाम पड़ा,
जो कि ताप्ती के मध्य मे रमा करता ॥
शनिदेव को अपनी बहन को,
एक दिया हुआ वरदान है ।
वे भाई-बहन अकाल मौत हैं नही मरते,
जो यम चतुर्थी के दिन इसमें करते स्नान हैं ॥
भैंसदेही के पास काशीपुष्कारिणी,
जो चन्द्रपुत्री पूर्णा नदी का उद्गम स्थल है ।
दूध की नदी भी कहते हैं इन्हें,
जो आगे राप्ती मे ही समाहित है ॥
सूर्यपुत्री माँ ताप्ती का,
हम कर सकते हैं बखान नहीं ।
इनकी कृपा बस चाहें हम,
बस अपना तो सौभाग्य यही ॥
इनकी कृपा बस चाहें हम,
बस अपना तो सौभाग्य यही....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
21-12-2013,Saturday,03:30PM,(818),
Pune,M.H.
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