दौलत से मिलता नही, बाबा का आशिष ।
बाबा तो उनको मिलें, जो श्रद्धा से झुकाये शीश ॥
शिरडी साईं बाबा के,नगरिया चलेंगे...........२
मन मोहन साईं के,दुअरिया चलेंगे.........२
शिरडी साईं बाबा,के नगरिया चलेंगे...........२
गाते चलेंगे हम, बाबा के नाम को...२
ध्याते चलेंगे हम,साईं के धाम को.....२
अपने भोले साईं के,दरश को चलेंगे.........२
शिरडी साईं बाबा के............
वो प्यारा साईं मेरा,सबका दुलारा है ......२
सुरज की ज्योति और,नयनों का तारा है....२
देखने साईं सुन्दर की,सुरतिया चलेंगे.........२
शिरडी साईं बाबा के............
भक्तों की भीड़,चारों दिशा से चली है.....२
जयकारों से गूंजी,साईं की गली है.....२
दिल मे बसा के,उनकी मुरतिया चलेंगे...२
शिरडी साईं बाबा के............
नर-नारी, बाल-बृद्ध, सभी कोई जाते हैं....२
खाली झोली अपनी-अपनी, सभी भर के लाते हैं....२
हम भी खाली झोली, अपनी भरने चलेंगे.....२
शिरडी साईं बाबा के............
भक्तों की भीड़ देख,बाबा मुस्काते हैं.......२
बालक समझ के सब को, गले से लगाते हैं.....२
हम तो छूने बाबा के, चरनियां चलेंगे........२
शिरडी साईं बाबा के,नगरिया चलेंगे...........२
मन मोहन साईं के,दुअरिया चलेंगे.........२
शिरडी साईं बाबा के,नगरिया चलेंगे...........२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
30-11-1999,tuesday,3.15pm,
chandrapur,maharashtra.
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