कानून आज है बस गरीबों के लिये,
पैसे वालों के लिए कानून नही ।
निर्दोषों को फसाना आम बात,
अपराधियों को सजा,मिलती ही नही ॥
लाचार और मजबूरों को,
हर तरह से सताया जाता है ।
अबलावों व कमजोरों पर,
अपने बल को दिखाया जाता है ॥
हर आखों में दहशत भरा हुआ,
सहमें-सहमें से लोग यहां ।
पैसों की लालच में देखो,
ईंषान इमान है बेच रहा ॥
नौकरियां उन्हें ही है मिलती,
जो नोटों से भरे थैले देते ।
बेटियां उन्हें ही ब्याही जातीं,
जहां नम्बर दो के पैसे रहते ॥
ईनाम-पुरष्कार उन्हें ही मिलते,
जिनका पहुंच अधिक होता ।
वुद्धिमान वही हैं कहलाते,
कानून आज है बस गरीबों के लिये,
पैसे वालों के लिए कानून नही ।
निर्दोषों को फसाना आम बात,
अपराधियों को सजा,मिलती ही नही ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
24-08-2001,friday,11:00am,(503),
In
varanasi-kochin expss train,
चित्र ; गूगल से सादर लिया गया।
चित्र ; गूगल से सादर लिया गया।
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