देशों मे इक देश है ऐसा,
जो भारत देश कहलाता है !
सभी धर्मों का संगम है जहां,
तरह-तरह की भाषा है !!
विभिन्नता मे बसी एकता,
जिसे सब देख चकित हो जाते हैं !
अखण्ड भारत की भूल-भुलैय्या,
जिसे सब देख भ्रमित हो जाते हैं !!
रंग - विरंगे परिधाने हैं,और,
कई रूप -रंग व चेहरे हैं !
ईंषानियत भरा है जन-जन-मे,
उनके तो कर्म सुनहरे हैं !!
प्रकॄति की अनुपम छटा है न्यारी,
जहां सभी ॠतुवों का मौसम है !
पावन नदियां बहती हैं जहा,
उनमे गंगा की महिमा अनुपम है !!
देवों की भूमि है भारत,
जो इतिहास गवाही देते हैं !
नारियां जहां सीता जैसी,
और पुरूष राम से रहते हैं !!
मित्रता पे जान लुटा देते,
वे पिछे से वार नही करते हैं !
पर वे शीश काट लेते दुश्मन का,
और उनके वो प्राण हर लेते हैं !!
या हो मुल्ला, या हो पंडित,
या संत- पादरी कोई हो !
श्रद्धा से उन्हे सब शीश झुकाते,
हिंदू - मुस्लिम या सिक्ख-इसाई हो !!
आपस मे वे सब भले लड़ें,
पर देश के लिए एक हो जाते हैं !
देखने मे वे सीधे -सादे,
पर दुश्मनों के लिए आग बन जाते हैं !!
देशों मे इक देश है ऐसा,
जो भारत देश कहलाता है !
सभी धर्मों का संगम है जहां,
तरह-तरह की भाषा है !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१८/०२/२०००,शुक्रवार,समय- १.२० पी.एम.
चंद्रपुर(महाराष्ट्र)
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