Tuesday, 19 June 2018

"वो हैं भारत के हितैषी और हमराज सही"

वो हैं भारत के हितैषी और हमराज सही |
जिन्हें तिरंगा उठाने में कोई लाज नहीं ||  
वो हैं भारत के हितैषी............

पर  नमक हरामों से कह दो कहीं और जाएँ |
हिंदुस्तान में उनका है कोई काज नही ||
 वो हैं भारत के हितैषी............

नाम और धर्म बदलके जिसने लूटा है |
उन्हें अपना बनाने का यहाँ रिवाज नही ||
 वो हैं भारत के हितैषी............

हमें आपस में लड़ा करके जिसने राज किया |
वो हो सकते कभी भी सरताज नही ||
 वो हैं भारत के हितैषी............

वतन का खाते हैं और दुश्मनों का गाते हैं |
उन्हें डूब मरने में कोई भी देखो  लाज नही ||
 वो हैं भारत के हितैषी............

तमाम ऊम्र ही हमको अँधेरे में रखा |
कल और बात थी मोहन अब और आज नही ||

 वो हैं भारत के हितैषी और हमराज सही |
जिन्हें तिरंगा उठाने में कोई लाज नहीं ||  
वो हैं भारत के हितैषी............

मोहन श्रीवास्तव ( कवि )

रचना क्रमांक ;-(1077)
19-06-2018,उतई ,दुर्ग (छत्तीसगढ़)



 

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