"ऐसी करतूतों से गुलामी के आसार हैं "
काक जैसे कांव कांव ,स्वान जैसे भांव -भांव ,
गिद्ध जैसे संसद में करें ब्यवहार हैं |
कुर्सी के नशे में चूर , जिम्मेदारियों से दूर ,
टांग खिंचने में और बड़े होशियार हैं ||
देश हित बात छोड़ , करें स्वार्थ गठजोड़ ,
ऐसे नेता भारत माता के लिए भार हैं ||
वोटों के तो ये हैं ठग , देख रहा सारा जग ,
ऐसी करतूतों से गुलामी के आसार हैं ||
मोहन श्रीवास्तव ( कवि )
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