मत्तगयंद छंद ( SII SII SII SII SII SII SII SS )
"आज पुकार रहे हम केशव"
आज पुकार रहे हम केशव , जाय छुपे कह हो सुख धामा |
काज सवांरहु हे मनमोहन , आज पड़ा तुमसे बड़ कामा ||
जाय रही अब लाज महाजन , आकर लाज रखो अभिरामा |
दीनदुखी हम स्वामि सखा तुम , नाथ तुम्ही मम पूरणकामा || 1 ||
जाय छुड़ाय दियो गजराज कु , ग्राह्य धरा पद था सुरधामा |
तारि दियो तुम गौतम नारि कु , पाहन थी पहुची पति धामा ||
चीर बढ़ाय दियो द्रुपदी कर , लाज बची तबहीं गुणधामा ||
मान कियो धन दानहु देकर , दीन दुखी फटहाल सुदामा || 2 ||
तारि दियो जिमि गीध अजामिल , नृसिंह रूप लिए अवतारा |
प्राण बचाय दियो प्रह्लाद कु , जाय उहां हिरण्याकश्यपु मारा ||
काज कियो नरसी कर माधव , भात भराय दियो सुख सारा ||
बालक ध्रुव करा तप साधन , लोक दियो खुश हो ध्रुव तारा || 3 ||
आनि पिलाय दयो बिष राजन , नाथ मिरा कर प्राण बचायो |
बेर जुठे शबरी घर खाकर , दीनन को तुम मान बढ़ायो ||
गाय सके नहि वेद पुरानन , नाथ कृपा जितनी बरसायो |
काज सवारहु श्याम पिया मम , आज तुम्ही पर आस लगायो ||
काज सवारहु श्याम पिया मम , आज तुम्ही पर आस लगायो || 4 ||
कवि मोहन श्रीवास्तव
रचना क्रमांक ;- ( 1123 )
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