"हे वीर तुम रणधीर हो"
( मधुमालती छंद )
हे वीर तुम रणधीर हो |
चलते रहो रणवीर हो ||
माँ भारती के हीर हो |
रिपु के लिये यमतीर हो ||
भुज बंध पर अभिमान हो |
बस जीत ही अरमान हो ||
हित देश बस यह प्राण हो ||
निज वतन पर बलिदान हो ||
जयचंद दल पहचान हो |
उनकी जगह शमसान हो ||
बलवंत तुम गुणवान हो |
अरि वक्ष लहू लोहान हो ||
माँ भारती के लाल हो |
तुम दुश्मनों के काल हो ||
हम सभी के तुम ढाल हो |
रण में सदा बेताल हो ||
अरि लहू की नित प्यास हो |
श्री विजय की बस आस हो ||
धैर्य सदा तव पास हो |
माँ भारती के दास हो ||
जय हिन्द की ललकार हो |
सदा वैरियों पे प्रहार हो ||
निज हाथ में औजार हो |
दिन रात ही जयकार हो ||
हे वीर तुम रणधीर हो |
चलते रहो रणवीर हो ||
माँ भारती के हीर हो |
रिपु के लिये यमतीर हो ||
कवि मोहन श्रीवास्तव
रचना क्रमांक :- ( 1124 )
1 comment:
बहुत सुन्दर रचना ,जय हिंद
Post a Comment