Thursday, 26 January 2023

कलाधर छंद (वाटिका प्रसंग)

(कलाधर छंद)
"पुष्प वाटिका प्रसंग"
वाटिका सुहात आज  आय राघवेंद्र राज
कोटि-कोटि कामदेव रूप पे लजात है।
है प्रसन्न फूल पात रूप राशि देखि गात
भाव भीग के हिया खुशी नहीं समात है।।
कंध सोहते कमान हाथ में सुहाय बान
राज अंग देख-देख वीरता जनात है।
सिंह कंध नील अंग दिखते महाअनंग
जीव मात्र देखी राम रूप को लुभात है।।1।।

रामचंद्र भ्रात संग काम रूप सात रंग
 देखि देखि भानु चंद्र राम को सिहाय है।
लेन है चले प्रसून नेत्र मोहिनी अरुण
चाल है मलंग मस्त सांवरो सुहाय है।।
जेहि सेत आदि देव दास केर नाव खेव
देख काम कोटि रूप देवता लजाय है।
जानकी स्वरूप देख राम प्रेम में विशेष
हो रहे अधीर राम सीस को झुकाय है।।2।।

जानकी चली मनात पूजने गणेश मात
आरती सजाय थाल पत्र पुष्प माल है।
देखि राज पुत्र राम कोटि काम रूप धाम
नैन मोहिनी समाय बाहु तो विशाल है।।
नैन नैन से मिलाय जानकी गई लजाय
लाज से झुकाय नैन  गाल सुर्ख लाल है।
श्वेद बूंद  माथ आत होठ कापि कापि जात
भावना हिया समात सांस में उछाल है।।3।।

चूंदरी दबाय दांत केस संग खेलि हाथ
पांव से धरा कुरेद ईष्ट को मनाय है।
आंख नाहि जाय खोल प्रेम में न जाय बोल,
प्रीत है पुरान जान जानकी लजाय है।।
सांस में भरे सुगंध शीत युक्त मंद मंद
देखि सीय राम रंग नेह  में समाय है।
चित्त शून्य होय जात ढील ढाल होत गात,
सांवरे सुजान राम से हिया लगाय है।।4।।
कवि मोहन श्रीवास्तव

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