Tuesday, 24 January 2023

"भवानी अष्टकम" हिंदी भावानुवादआदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचितछंद:-"महाभुजंग प्रयात सवैया"

"भवानी अष्टकम" हिंदी भावानुवाद

आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित

(महाभुजंग प्रयात सवैया)


न माता न दाता न पुत्री न धात्री,

न भ्राता न संगी पिता पुत्र दासा,

न विद्या न आजीविका वृत्ति मेरा,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।१।।


रहूं लिप्त कामादि लोभादि में मैं, 

महाक्लेश से मां बड़ा ही डरा हूंI

पड़ा विश्व के सिंधु के बंधनों में,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।२।।



भवानी नहीं जानता दान देना,

नहीं मंत्र स्तोत्र का ही पता है।

नहीं ध्यान पूजा नहीं न्यास जानूं,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।३।।



नहीं जानता पुण्य तीर्थादि मुक्ती,

भवानी अकेले सहारा तुम्हीं हो।

सुरों का नहीं ज्ञान ना त्याग भक्ती,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।४।।


दुराचार दुर्बुद्धि से युक्त हूं मां,

बुरी संगतों का महादास हूं मैं।

सदा क्लेश से युक्त वाणी उचारूं,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।५।।


नहीं जानता ब्रम्ह या विष्णु शंभू,

नहीं सूर्य राकेश इंद्रादि को मैं।

भवानी सदा दास हूं आपका मैं,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।६।।


बचा हे शरण्ये विवादादि से तूं ,

वनों पर्वतों आग पानी दुखों से।

सदा रक्षिणी शत्रु से त्राण देना , 

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।७।।


जरा जीर्ण रोगी महादीन गूंगा,

सदा ही सदा मातु मै बेसहारा।

क्लेशादिकों संकटों से घिरा मैं,

तुम्हीं मात्र हो मोक्ष मेरी भवानी।।८।।




कवि मोहन श्रीवास्तव

16.1.2023, सेमरी पाटन दुर्ग

श्री भवानी अष्टकम  का  जाप करने के फायदे हिंदी में -Shri Bhawani Ashtak Paath benifits in hindi 

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