Thursday, 2 March 2023

"लक्ष्मी अष्टपदी"

१११ १११ ११ २११, ११ २११२ 
१११ १११ ११ २१, ११११ २१ १२ 
अन धन जन सुखदायिनि, वरदायिनि हे।
शतदल पुहुप विराज, जय जय विष्णु प्रिये।।1।।


सुर नर मुनि जन गावत, नित ध्यावत हे।
भगतन नित सुख देत,जय जय विष्णु प्रिये।।2।।


बनत चुगद तव वाहन, सब लोक फिरे।
करत अधम धन नाश,जय जय विष्णु प्रिये।।3।।


हरि चरणन नित सेवत, सुख लेवत हैं।
करत जगत उपकार,जय जय विष्णु प्रिये।।4।।


गणपति तव सुत दत्तक, भव रक्षक हैं।
प्रथम करत जन ध्यान,जय जय विष्णु प्रिये।।5।।


सकल कलह दुःख भागत, धन आवत हे।
निशि दिन कर गुणगान,जय जय विष्णु प्रिये।।6।।


हरि प्रिय सहज उदारिन, जग धारिनि हे।
कर धर निज तलवार,जय जय विष्णु प्रिये।।7।।


अरज करत यह मोहन , धन वैभव दे।
कर नहि सकत बखान,जय जय विष्णु प्रिये।।8।।


कवि मोहन श्रीवास्तव



12.30 बजे
उफरा झीट पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़ 

No comments: