Tuesday, 14 March 2023

"मनुज सवैया" बेटी की विदाई

"मनुज सवैया"
सात सगण और भगण (२४ वर्ण)
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पितु मातु सगा सब छोड़ चली, बिटिया मइके घर से रोकर।
बहना भुज में भरके लिपटी, भइया बस अश्रु बहे खोकर।।
बिलखाय रही मइया कहके, गुड़िया न लगे तुझको ठोकर।
पितु अश्रु निरंतर रोकत हैं, जिमि प्राण उड़े तन से ओकर।।१।।

सब सून हुआ घर आंगन है, चिड़िया पशु जीव सभी चाकर।
मुरुझाय रही बगिया दुख से, गुड़िया कर बोल नहीं पाकर।।
वृष धेनु नहीं चरते तृण हैं, नहि कांव करे कउआ आकर।
पथ गांव गली सब सून भई, बिटिया दुख देय गई जाकर।।२।।
कवि मोहन श्रीवास्तव
Mahuda jheet patan durg Chhattisgarh
14.03.2023


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