Thursday, 16 March 2023

"जय महाकाली स्तुति"छन्द : पञ्चचामर

"जय महाकाली  स्तुति"

छन्द : पञ्चचामर

लिए कटार खड्ग हाथ,  लाल लाल नेत्र हैं ।
निकाल जीभ को विशाल,सर्व अस्त्र धारती।।
चली अपार शक्ति श्रोत, पापनाशिनी चली ।
सुकंठ धार मुण्डमाल, क्रोध से पुकारती ।। 
मुखारविन्द मुक्तकेश, क्रोध में सनी हुई ।
बलात् शत्रु शीष काट, उग्र रूप धारती ।।
प्रचंड खंड दुष्ट दंड, दाँत पीसती हुई ।
अराति सर्वनाश त्रास, क्लेश को निवारती ।। 

कवि मोहन श्रीवास्तव

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