गणेश वंदना
(द्रुतविलंबित वर्णिक छन्द)
ललल लालल लालल लालला
शिवलला गणनायक आइये l
दरस आकर नाथ दिखाइये ll
कर गजानन अंकुश साथ हो l
परसु पाश गणेश्वर हाथ हो ll
मुकुट शोभित सीस गजानना l
उदर दन्त त्रिपुण्ड लुभावना ll
सुरुचि मोदक भोग लगाइये l
शिव लला गणनायक आइये ll1ll
पुहुप रक्त सुगन्धित माल है l
श्रवण गात ललाम विशाल है ll
चरण सुन्दर दिव्य मनोहरा l
नयन आनंद से दिखता भरा ll
सदन रिद्धि सुसिद्धि बुलाइए l
शिवलला गणनायक आइये ll2ll
जनक आदिदेव महेश्वरा l
गृहहिमाचल तुंग दिगम्बरा।।
सहचरी परिवार समेत हों ll
सकल कष्ट गजानन दूर हो l
सुख अनेक सदा भरपूर हों ll
कुल समेत मुझे प्रभु तारिये l
शिव लला गणनायक आइये ll3ll
दरस आकर नाथ दिखाइए l
कवि मोहन श्रीवास्तव
10.07.2025
महुदा, झीट अमलेश्वर
दुर्ग छत्तीसगढ़
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