आज हमारे प्यारे भारत को ,
कलियुग के पापों ने घेरा है !
जहा बेइमानों व मक्कारों का,
हर-पल रहता बसेरा है !!
क्रूरता-धुर्त -चालाकी ने,
उनके दिलों मे धाक जमाया है !
इन्ही धूर्त चालाकों ने
प्यारे भारत पर आतंक मचाया है !!
राजनीति हो गया है व्यापार,
जहां पैसे ही कमाना मकसद है !
चाहे पक्ष या हो बिपक्ष,
सबको बस वोटों की चाहत है !!
जो अपराध रक्त से सिंचित हो,
उनसे भला देश का क्या होगा !
ऐसे भीगे कम्बलों मे,
बस पाप ही पाप भरा होगा !!
जो बचे-खुचे हरिश्चंद्र भी हैं,
उनकी हालत दातों मे जीभ सी है !
भ्रष्टाचार के आवरण मे रह कर,
उनकी उपस्थिती एक टंगी हुई तश्वीर सी है !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०४/०४/२००१ ,बुद्धवार, सुबह-५.१० बजे
थोप्पुर घट, धर्म पुरी,(तमिल नाडु)
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