हम चाह तुम्हारी करते हैं,
ऐसी मेरी तकदीर कहां !
सेजों को सजाए बैठे है,
आ जावो मेरी तश्वीरे जहां !!
हम मस्त हुए है खयालों मे,
शबनम से बनी तुम नूरजहा !
तेरी राहों मे हम बैठे,
आ जावो मेरी वो जाने अदा !!
तुम शिशा हो, संगमर्मर हो,
तुम आशावों की समुन्दर हो !
तुम चलती-फिरती परी कोई,
जो आशिकों के दिल के अंदर हो !!
जब से देखा है तुमको हम
तेरे आशिक हो गए है हम !
दिन रात तुम्हारी हम राह तकें,
आ जावो मेरी वो शाने गजल !!
हम तुम्हारे जवानी के दिवाने हुए
न जाने कितने फ़साने हुए !
ऐ मेरे मुहब्बत की आरजू,
आ जावो मेरी वो मस्त परी !!
ऐ मेरे दिल की शीश महल
घायल कर रही तुम्हारी अदा !
तुम चाहे जैसे भी आ जावो
तेरी बाहों मे हम झूलें !!
हम तेरी मुहब्बत के प्यासे
हमको तो बना लो किसी नाते !
मेरी सरकार तुम आ जावो
फ़ूलों से राह सजाए है !!
मेरी चन्दा तुम हो रुखसाना
हम है तेरे दिवाने !
तेरे प्यार मे पागल हो गए हम,
आ जावो मेरी वो ताज महल !!
दिन- रात तड़पते है तुझ -बिन
अब मत मारो मेरी राजकुवंरि
हम चाह तुम्हारी करते है
ऐसी मेरी तकदीर कहा......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१२/०४/१९९१,
एन.टी.पी.सी. दादरी,गाजियाबाद(उ.प्र.)
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