स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई में,
जब-जब उन वीरों को याद करेंगे हम ।
तब-तब क्रांति वीर मंगल पाण्डेय का,
गर्व से बात करेंगे हम ॥
पावन धरती बलिया मे,
मंगल पाण्डेय जी का जन्म हुआ ।
अपनी अमर गाथावों से,
जो आज है देखो अमर हुआ ॥
सिंह की दहाड़,मदमस्त चाल,
वे आजादी के मतवाले थे ।
सीने में दहकती थी आग,आखों मे मशाल,
वे मातृ भूमि के परवाने थे ॥
चरबी युक्त कारतूस को लेकर,
वे आजादी का बिगुल बजाये थे ।
अंग्रेजी सिपह-सलारों को,
वे जगह पर ही मार गिराये थे ॥
सन सत्तावन की क्रांति में,
अंग्रजों को,उनकी नानी याद दिलाये थे ।
मातृ भूमि की बलिबेदी पर,
अपने प्राण गवांये थे ॥
कोटी-कोटि है नमन हमारा,
ऐसे बहादुर नायक को ।
जो हसते-हसते फांसी पे चढ़ा,
ऐसे भारत माँ के लायक को ॥
जो हसते-हसते फांसी पे चढ़ा,
ऐसे भारत माँ के लायक को.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
12-01-2014,Sunday,10:00PM,(827),
Pune,M.H
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