मिल तो जाता है अपमान बहुत,
पर सम्मान बहुत मुश्किल से मिलता ।
दुनिया मे दुःख की कमी नहीं,
पर खुशी तो कभी-कभी मिलता ॥
जैसे पेड़ में फल लग जाने से,
वृक्ष और भी झुक जाता ।
फूल भी देखो अपनी डाली में,
कितना प्यारा है मुस्काता ॥
विद्द्या,लक्ष्मी,सम्मान आदि,
ये सब बहुत भाग्य से मिलते हैं ।
जिसको पाकर के हर दिल,
मन ही मन तो खिलते हैं ॥
हम चाहे कितना बढ़ जायें,
पर हमें अहंकार कभी किसी का न हो ।
अहंकार आज तक किसी का चला नहीं,
बस इतिहास को पढ़के तो देखो ॥
विनम्रता को कभी न खोना,
ये मानव की सही पहचान है ।
इससे प्यार और भी मिलता,
और सदा ही मिलता सम्मान है ॥
इससे प्यार और भी मिलता,
और सदा ही मिलता सम्मान है.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
25-01-2014,Saturday,11:45am,(841)
Pune,M.H
No comments:
Post a Comment