चोर सदा से रहे हैं इस धरा पे,
और आगे भविष्य मे रहेंगे भी ।
अपनी आदत से मजबूर जो मित्रों,
वे तो चोरी करेंगे ही ॥
सोना,चांदी,रुपया,कपड़ा,
या दुनिया मे जितने चीज भी हैं ।
चोरी तो सबकी होती है,
चाहे दिल में बसी कोई प्रीति ही है ॥
किसी के पोस्ट को चोरी करना,
ये बहुत ही घिनौना कार्य है ।
ऐसे बहुत पोस्ट हैं मिल जाते,
जिसके कई प्रमाण हैं ॥
ऐसी ही चोरी मे कविता चोरी,
और लेखन चोरी भी होता है ।
वे तो खुश होते हैं अपने नाम को लिखकर,
पर कवि बेचारा रोता है ॥
बहुत बड़ी मुश्किल से मित्रों,
कोई रचना या लेख लिखे जाते ।
दिल मे बहुत अरमान लिये,
ये किसी भी मंच पे प्रस्तुत किये जाते ॥
मेरा विनम्र निवेदन है उन मित्रों से,
किसी के पोस्ट की चोरी नही करें ।
सत्य तो सदा सत्य ही रहता है,
पर उपर वाले से सदा डरें ॥
सत्य तो सदा सत्य ही रहता है,
पर उपर वाले से सदा डरें....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
12-02-2014,Wednesday,02:00pm,(853)
Pune,M.H.
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