दिन,महिना,साल भूल के,
अब मंथ,ईयर व डे हैं कहाये जाते ।
साल के तीन सौ पैंसठ दिन में,
कुछ न कुछ डे तो मनाये जाते ॥
इन्हीं डे में वेलेन्टाइन डे,
जो प्रेमी जोडे़ हैं मनाया करते ।
इस दिन सब कुछ भुल-भाल के,
बस प्यार का पाठ पढ़ाया करते ॥
जिस किसी को प्यार किसी से,
वो इजहार प्यार का किया करते ।
इक-दूजे को भेंट मे कुछ तो,
प्यार का उपहार दिया करते ॥
वेलेंटाइन डे की भी कहानी मित्रों,
अपनी जुबा से सुनाता हूं ।
सेंट वेलेंटाइन डे का किस्सा,
जो सुना है मै दुहराता हूं ॥
रोम देश मे एक इसाई,
जिसका नाम सेंट वेलेन्टाइन था ।
वहां की राजा की बेटी से,
वहां की राजा की बेटी से,
भरपूर प्यार भी उसको था ॥
बिना शादी के लड़का-लड़की,
सारे रिश्ते कर सकते हैं ।
पति-पत्नी नही तो क्या,
वे प्रेमी जोड़े बन कर रह सकते हैं ॥
ये बात उसने राजा से,
बड़ी निडरता से कह डाला ।
लाल रंग के दिल को उसने,
राजकुमारी की झोली मे डाला ॥
उसकी गुस्ताखी देख के राजा,
उसे फासी की सजा है सुनवाया ।
चौदह फरवरी के दिन ही उसको,
चौदह फरवरी के दिन ही उसको,
सजाए मौत है दिलवाया ॥
इसी दिन को याद करके प्रेमी,
अपने प्यार को खुब रिझाते हैं ।
प्यार-मुहब्बत करके वे,
वेलेन्टाइन डे को मनाते हैं ॥
पर पश्चिमी सभ्यता का अंधाधुंध अनुकरण मित्रों,
बर्तमान मे लग रहा होगा अच्छा ।
पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
ये बात भी मित्रों है सच्चा ॥
पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
ये बात भी मित्रों है सच्चा ........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
13-02-2014.Thursday,03:40pm,(854)
Pune,M.H.
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