सुन करके कलेजा कांप उठता,
और दिल मे दहसत भर जाता ।
जब किसी भारत की बेटी का,
जबरन बलात्कार है किया जाता ॥
नारी सम्मान का हम ढोल पीटते,
और रोज नारी का अस्मत लूटा जाता ।
उन भीड़ भरे बाजारों में,
उनका चीर-हरण है किया जाता ॥
ये घटनाएं रोज हो रही,
और आगे भविष्य मे होंगी भी ।
क्योंकि कानून हमारा सख्त नही,
और अपराधियों को सजा मिलती ही नही ॥
मित्रों,आज हमारी बहन-बेटियां,
देश में कहीं सुरक्षित है नही ।
कब किसकी ईज्जत पे आरी चल जाए,
ये बात भी मित्रों बहुत सही ॥
जब तक कड़ी सजा नहीं मिलेगी उन्हें,
वे सब ऐसे ही जुल्म ढहाएंगे ।
हमारी बेटियों की ईज्जत लुटती रहेगी,
और हम खून के आसूं बहायेंगे ॥
पश्चिमी सभ्यता का अंधाधुंध अनुकरण,
ये हम सबके लिये है ठीक नहीं ।
इसका दुष्परिणाम अभी हो रहा है मित्रों,
और आगे भविष्य मे होगा बड़ा भयंकर ही ॥
मेरा विनम्र निवेदन है उन बेटियों से भी,
कि वे भी अंजान पे जल्दी ना विश्वाश करें ।
और उन्मुक्तता व अंग प्रदर्शन से,
जितना हो सके सभी बचें ॥
और उन्मुक्तता व अंग प्रदर्शन से,
जितना हो सके सभी बचें.......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
19-02-2014,Wednesday,05:00pm,(859)
Pune,M.H.
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