अब प्राइवेट कम्पनियों की, बाढ़ सी आ गई है,
जहां नित नई-नई, कम्पनियां खुल रही हैं ।
पैसे कमाने की चाहत मे,
ये अपने कर्मचारियों का, शोषण कर रही हैं ॥
जलकुंभी की तरह ये, उग रही कम्पनियां,
ये लोगों को बेवकूफ, बना रही हैं ।
बेरोजगारी का, लाभ उठाकर,
ये खुब पैसे कमा रही हैं ॥
इण्डस्ट्रीज,फैक्ट्री,या हो कन्स्ट्रूक्सन,
या मार्केटिंग,बैंक, सिक्योरिटी हो ।
बीमा,सड़क या हो, मिडिया,
या किसी भी तरह, का ड्युटी हो ॥
बड़े-बड़े ये बोर्ड लगाकर,
ये लोगों को बेवकूफ, बना रही हैं ।
पी,एफ,बोनस व, समय से सैलरी,
ऐसी तरह-तरह की, बातों से लुभा रही हैं ॥
पर कड़वी सच्चाई, यही है कि,
ये अपने वादे पर नही, उतरती हैं खरी ।
पी,एफ,बोनस की, बात ही क्या,
समय से नही, देती हैं सैलरी ॥
गुण्डागर्दी के, बल पर ये,
अपनी कम्पनियां चलाते हैं ।
अपने रहते खुब, ऐशो-आराम मे,
पर कर्मचारियों का, खून पी जाते हैं ॥
पर आज के इस महौल मे भी,
कुछ-कुछ कम्पनियां बहुत ही अच्छी है ।
वे हर मान दण्डों का रखती हैं ख्याल,
और कर्मचारियों की भी हितैषी हैं ॥
अब प्राइवेट कम्पनियों की, बाढ़ सी आ गई है,
जहां नित नई-नई, कम्पनियां खुल रही हैं ।
पैसे कमाने की चाहत मे,
ये अपने कर्मचारियों का, शोषण कर रही हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
22-08-2013,1am,thursday,(734),
pune,maharashtra.
No comments:
Post a Comment