प्रिय मित्रों ,
आखिर कैन्सर से एक और जिन्दगी हार गई |
मुझे अत्यंत दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है की मेरी धर्मपत्नी श्रीमती विभा श्रीवास्तवा का कैन्सर के कारण मात्र 2 माह 12 दिन की बिमारी में दिनांक 12-01-2015 को स्वर्गवाश हो गया। वे अपने पिछे एक पुत्र सौरभ (B.E Civil अंतिम वर्ष )व एक पुत्री समीक्षा( B.E , EEE प्रथम वर्ष) छोड़ गई हैं ।
''लिए थे फेरे सात थे हमने ,और किए थे कस्मे वादे।साथ जिएंगे ,साथ मरेंगे ,यही थे अपने ईरादे ॥
पर वो चली गई इस दुनिया से ,हम रह गए अकेले ।
बस यादें उनकी शेष हैं अब,जो लगते बड़े अलबेले ॥
बस यादें उनकी शेष हैं अब,जो लगते बड़े अलबेले ॥
मित्रों, मेरी अब तक की लिखी 900 रचनाएँ इनके लिए ही समर्पित हैं ।
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
रायपुर (छ. गढ़)
mob-9009791406
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