Thursday, 29 January 2015

बस याद तुम्हारी ही है हमें


जहां भी देखूँ तुम ही तुम हो,
आती जाती इन श्वाशों में । 
तुम हर पल याद आती हमें ,
तुम अपने सुनहरे वादों में ॥ 

पायल की झनक जब कभी सुनता हूँ ,
लगता है तुम  आ रही हो ।
चूड़ी की खनक जब भी  सुनता ,
मानो तुम मुझे बुला रही हो ॥ 

जब कहीं बोल सुनता हूँ ,तुम जैसा,
मेरे धड़कन हैं बढ़ जाते । 
तश्वीर तुम्हारा जब मैं देखूँ ,
नयनों में नीर हैं  आते ॥ 

ये दोनों अनमोल रत्न ,
मेरे लिए तुम्हारी दो आँखे हैं । 
दोनों ही तुम्हारी तरह हैं ये ,
और इनके मजबूत ईरादे हैं ॥ 

न आश रहा ,न चाह रहा ,
ना ही कोई तो किनारा है । 
बस यादें तुम्हारी ही हैं हमें ,
जो देती हमें सहारा हैं ॥ 
बस यादें तुम्हारी ही हैं हमें ,
जो देती हमें सहारा हैं.. . . 

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
 (912)
7AM,Tuesday,Mahaveer Nagar,
Raipur (C.G) (912)
Mob.9009791406  

No comments: