"प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान "
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।
समय से छुट्टी मिले न पैसा, शोषण ही पहचान।।
बड़े बड़े हैं बोर्ड लगाके, तामझाम दिखलाते हैं।
टिपटॉप रिसेप्शन रखके, लोगों को भरमाते हैं।।
ऊंची ऊंची दुकानों के, फीके हैं पकवान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।1।।
ना मिलता है बोनस पैसा, ना ही मिले उधारी।
ना ही महीना हफ्ता छुट्टी, ना ही तीज तिहारी।।
छुट्टी लो तो पैसा काटें, और करें अपमान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।2।।
सब कुछ छोड़के दूर घरों से, आते सभी कमाने।
अपने और परिवार को अपने, जीने और जिलाने।।
काम काम में घर की चिंता, दो पाटों में पिसान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।3।।
कैसे पाले बच्चे अपने ,कैसे बेटी विदाई।
बीमारू माई बापू का, कैसे करें दवाई।।
ऐसी हालत में रह इनका, कैसे रखना ध्यान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।4।।
काम कभी करते करते, साइट पर ही मर जाते हैं।
करने अंतिम संस्कार हेतु, पैसे भी ना मिल पाते हैं।।
चूस चूस कर खून ये पीते, बनते बहुत महान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।5।।
छुट्टी मांगने के पहले ही, बार बार दिल सोचे है।
खूब मनाएं ईष्ट को अपने, पल पल सिर को नोचे हैं।।
छुट्टी मिल जाने पर भईया , खुशी मिले है महान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।६।।
पर कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, मानवता दिखलाती हैं।
पीएफ बोनस छुट्टी पैसा, सब भरपूर दिलाती हैं।।
कर्मचारियों का भी पूरा, रखती हर पल ध्यान।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।।७।।
प्राइवेट कंपनी में करना, काम नहीं आसान।
समय से छुट्टी मिले न पैसा, शोषण ही पहचान।।
कवि मोहन श्रीवास्तव
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