Monday 19 February 2024

मै हूं चाँदनी तुम मेरे हो चाँद

रहते हो जहां मैं भी तो वहां,
तुम्हे दिल मे बसा के रखती हूं
मै हूं चाँदनी तुम मेरे हो चाँद,
तुम्हें पलकों मे छिपा के रखती हूं

तुम प्यार के सागर हो मेरे,
मै नदी तो बन के समाई हूं
तुम सदा बहार हो पेड़ कोई,
मै लता तो बनके उलझाई हूं

मै खिलती कोई कमलिनी सी,
तुम भंवरा बन के समाये हो
मै रोशनी तुम्हारी राहों की,
तुम दीपक बन के आये हो

तुम नज़रों से दूर हो फिर क्या हुआ,
पर दिल से हमारे पास हो
रब से मांगती हूं मै दुआ,
तुम मेरे जीवन की आश हो

पास गये हम दोनों,
अब दूर तो मत जाना साजन
कभी दूर हुए यदि तुम मुझसे,
तो रहेगा नही मेरा जीवन

रहते हो जहां मै भी तो वहां,
तुम्हें दिल मे बसा के रखती हूं
मै हूं चाँदनी तुम मेरे हो चाँद,
तुम्हें पलकों मे छिपा के रखती हूं

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
२१--२०१३,रविवार,दोपहर,.३० बजे,

पुणे, महा.  

No comments: