Monday, 19 February 2024

माँ होती बहुत महान है



मिलता है सच्चा सुख केवल,
ममता मई मां के पावों मे
खिलता है मुर्झाया चेहरा,
मां की आंचल के छावों मे

सहती है कितने दुःखों को,
कि हम सदा खुशहाल रहें
वो त्याग है देती अपने सुख को,
कि हर सुख मे मेरा लाल रहे

कभी जब गीले हो जाते बिस्तर,
और जब ठंडी हमे सताती है
तब सुखी जगहों पर हमे सुला,
खुद गीले बिस्तर पर सो जाती है

वह त्याग की अनोखी है मिशाल,
ममता की प्यारी मूरत है
हम चाहे जहां कहीं भी रहें ,
हमे उसकी बहुत जरुरत है

मां से बढ़कर दुनिया मे ,
दिखता नही मिशाल है
हर जगह यही सब कहते,
मां होती बहुत महान है
मां होती बहुत महान है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१८--२०१३,गुरुवार,शाम बजे,
पुणे महा.


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