ना होना कभी निराश, मेरे प्यारे दोस्तों ।
ना खोना सुख की आश, मेरे प्यारे दोस्तों ॥
जींदगी की राह मे, आती हैं मुश्किलें ।
हमको तो सच्ची राह, बताती हैं मुश्किलें ॥
जब भी कभी दुःख आये तो, होना नही दुःखी ।
हंसते हुए दुःख सहना, रोना नही कभी ॥
हम करेंगे अच्छे कर्म तो, भगवान साथ हैं ।
पाप कर्म मे तो, हम दुःख के ही दास हैं ॥
जो भी हुआ है अपना,वो भी था अच्छा ।
जो हो रहा है और होगा, वो भी तो अच्छा ॥
दुःख-सुख है अपने साथी, इन्हे गले लगाइये ।
हंसते हुए इन दोनो मे, जीवन बिताइये ॥
ना होना कभी निराश, मेरे प्यारे दोस्तों ।
ना खोना सुख की आश, मेरे प्यारे दोस्तों ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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रचनांकन दिनांक-०९-०५-२०१३,बृहस्पतिवार,
प्रातः ५.४५ बजे,
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