Monday, 19 February 2024

शिव स्तुति (तू सबसे निराला है )


तू सबसे निराला है,तू तो दिल वाला है
भोले मेरे भोले,तू जग का उजाला है

आखें तेरी प्यारी,जो मदहोश है कर जाती
तेरे मुखड़े की शोभा,जो दिल मे है बस जाती
तेरी मदमस्त जाटाएं जो,हवा मे लहराती
तेरी जटा से गंगे की, निकली तो धारा है
तू सबसे निराला है......

हे आदि-अनादि प्रभो,तू घट-घट का वासी
तू सब जगह रमा करता,कैलाष या हो काशी
कटि मे बाघम्बर है और,हाथ मे है डमरू
जो सोते हुओं के तो,किस्मत को जगाता है
तू सबसे निराला है......

हम तुझको निहारा करें,सब सुध-बुध को खोकर
हम तुमको पुकारा करें,ऊँ नमः शिवाय जपकर
अंग-अंग मे भभुति रमा,है गले मे तो बिषधर
मन-मोहिनी सूरत से,सारे जग को लजाया है
तू सबसे निराला है......

हे काशी-कैलाषी,तुम सब जगह रमा करते
भक्तों की विपदा को,पल भर में हरा करते
विष्णू भगवान के तो,तुम दिल मे हो रहते
हे शांत-चित्त भगवन,तुम्हे दिल मे बसाया है

तू सबसे निराला है,तू तो दिल वाला है
भोले मेरे भोले,तू जग का उजाला है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
16-01-2014,Thursday,11:00PM,(830),
Pune,M.H.




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