अपनी किस्मत में तो हम, आग लगा बैठे हैं ।
खुदा के सामने सजदा,झुकाए बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम....
अपने हाथों से तो हम,आशिया जला डाला ।
अब तो बस याद को,सीने में छुपाये बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम....
बद्दुआ दिल से किसी ने,दिया है या हमको ।
अब तो बस आश,दुआ कि लगाये बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम....
हम तो सपनें में बनाये थे,रेतों का महल ।
अपने आसूं से तो हम,उसको बहाए बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम....
हमने तो फूलों का बाग,लगाया था वहां ।
उनको खिलने से ही पहले, उजाड़ बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम....
हमने टूटी हुई नाव का,सहारा जो लिया ।
आज खुद आपको अपने,डुबाए बैठे हैं ॥
अपनी किस्मत में तो हम, आग लगा बैठे हैं ।
खुदा के सामने सजदा,झुकाए बैठे हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
24-02-2001,saturday,3:00pm,(462),
thoppur,dharmapuri.tamilnadu.
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