Monday, 19 February 2024

धन्य हमारी भारत भूमि



धन्य हमारी भारत भूमि ,

व धन्य यहां के वासी ।

दुनिया में सबसे न्यारे हैं,

हम सब भारत वासी ।।
जहां जन्म लेने के लिए,

देवता भी सदा तरसा करते ।

समय-समय पर खुश होकर के,

बादल सब जगह है बरसा करते ।।
जंगल-पहाड़-नदियां व झरने,

जो इसके श्रृंगार हैं ।

सारी बसुधा ही भारत का,

अपना प्यारा परिवार है ।।
सत्य-अहिंसा-भाईचारा ,

मूल मंत्र है इसका ।

प्यार मे ये सदा ही झुकता,

पर नफरत में आग उगलता ।।
सभी धर्मो का संगम है यहां,

जो इंसानियत धर्म सिखलाता ।

बिभिन्नता में बसी एकता,

जो दुनिया के लिये परिभाषा ।।
बिभिन्नता में बसी एकता,
जो दुनिया के लिये परिभाषा ।।

मोहन श्रीवास्तव (कवि )



09-09-2014,Tuesday,07:30P.M

Baheri,Sidhi,M.P.(871).

चित्र ; गूगल  से साभार लिया गया  

No comments: