Monday, 19 February 2024

"याद आती है उसकी बहुत"

याद आती है उसकी बहुत ,कभी होती थी मेरे पास में | 
धडकनों में समाई हुई ,वो तो रहती थी हर शांस में    || 
याद आती है उसकी बहुत 

दिल में रहती थी हर-पल मेरे ,प्यार करता था दिन-रात मै | 
माथे को उसके मैं चूमता ,उसकी खुशियों की बस आश में  || 
याद आती है उसकी बहुत 

जुल्फें थीं रेशमी सुनहरी ,लगती थी जैसे कोई परी   | 
मेरी बांहों में थी झूलती ,सोती थी मखमली घास में  || 
याद आती है उसकी बहुत 

जो भी मिलते सभी चाहते ,बातें करते बड़े प्यार से  | 
नफरतों से बहुत दूर थी ,खिल रही थी अमलताश में || 
याद आती है उसकी बहुत 

 वो नहीं थी कोई और बस ,मेरी थी नन्ही बेटी -बहन | 
गुडिया थी मेरे आंगन की वो ,अब तो रहती है अहसास में || 



मोहन श्रीवास्तव ( कवि )
रचना क्रमांक :- (1050)



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