तुम्हारे प्यार को हम-दम, भुलायें तो कहो कैसे ।
यहां तो प्यार का मौसम,मनाएं तो कहो कैसे ॥
तुम्हारे प्यार को हम-दम..
अगर तुम साथ में होती,तो दो दिल एक हो जाता ।
हमें भी तुम तो मिल जाती,तुम्हें भी मैं तो मिल जाता ॥
तुम्हारे प्यार को हम-दम..
हमें मालूम होता तो,तुम्हें भी साथ ले आता ।
यहां हम न तड़पते थे,वहां तुमको न तड़पाता ॥
तुम्हारे प्यार को हम-दम..
जुदा हाने का गम हमको,नहीं अब तो सहा जाता ।
तुम्हारे बिन मेरी शबनम,इक पल भी नहीं रहा जाता ॥
तुम्हारे प्यार को हम-दम..
नजर है लग गई किसकी,हमारे प्यार को जानम ।
कभी सोचे नही थे हम,कि होंगे दूर तुमसे हम ॥
तुम्हारे प्यार को हम-दम, भुलायें तो कहो कैसे ।
यहां तो प्यार का मौसम,मनाएं तो कहो कैसे ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
10-02-2001,saturday,7:35pm,(446),
dharmapuri,tamilnadu.
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