Monday, 19 February 2024

गजल (तुम्हारे प्यार को हमदम)

तुम्हारे प्यार को हम-दम, भुलायें तो कहो कैसे
यहां तो प्यार का मौसम,मनाएं तो कहो कैसे
तुम्हारे प्यार को हम-दम..

अगर तुम साथ में होती,तो दो दिल एक हो जाता
हमें भी तुम तो मिल जाती,तुम्हें भी मैं तो मिल जाता
तुम्हारे प्यार को हम-दम..

हमें मालूम होता तो,तुम्हें भी साथ ले आता
यहां हम तड़पते थे,वहां तुमको तड़पाता
तुम्हारे प्यार को हम-दम..

जुदा हाने का गम हमको,नहीं अब तो सहा जाता
तुम्हारे बिन मेरी शबनम,इक पल भी नहीं रहा जाता
तुम्हारे प्यार को हम-दम..

नजर है लग गई किसकी,हमारे प्यार को जानम
कभी सोचे नही थे हम,कि होंगे दूर तुमसे हम

तुम्हारे प्यार को हम-दम, भुलायें तो कहो कैसे
यहां तो प्यार का मौसम,मनाएं तो कहो कैसे

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
10-02-2001,saturday,7:35pm,(446),
dharmapuri,tamilnadu.


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