आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
बंदर-बंदरी की शादी ।
बंदर बने हैं दुल्हे राजा,
और बंदरी दुल्हन रानी ॥
दुल्हे राजा के हाथ मे लाठी,
करने चले हैं शादी ।
साथ मे उनके बहुत से साथी,
जो सभी बने हैं बराती ॥
जंगल के राजा शेर सहित,
और ऊंट,सियार व हाथी ।
हिरन,गौरया,मोर व मैना,
कोयल बहुत है इतराती ॥
गिद्ध,गरुड़ व तोता हारिल,
गाय,बैल व खरगोस भी हैं ।
तरह-तरह के जंगली जानवर,
जो कर रहे उद्घोष भी हैं ॥
दुल्हे राजा उछल-कूद के,
आगे बढ़ते जायें ।
दुल्हन रानी लगा के लिपिस्टिक,
खुश होके दांत दिखाये ॥
दुल्हे राजा के सिर का मुकुट,
जो कभी टिक ना पाये ।
दुल्हन रानी का भी घूंघट,
सरक-सरक है जाये ॥
हो गई है शादी राजा-रानी की,
दोनो खुशी-खुशी घर आये ।
नयन-मटक्का करते-करते,
दोनों जीवन साथ बितायें ॥
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
बंदर-बंदरी की शादी ।
बंदर बने हैं दुल्हे राजा,
और बंदरी दुल्हन रानी ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
28-01-2014,Monday,02:30pm,(845)
Pune,M.H.
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