"विजात छंद"
(श्री हनुमान स्तुति) जय जय श्री राम
लगा सिंदूर काया में, गदा को हाथ में धारे।
हृदय सियराम की मूरत,सदा श्री राम उच्चारे।।
अतुल बलवान बजरंगी,सभी वेदों के हैं ज्ञाता।
पिता श्री वायु हैं उनके, लला की अंजनी माता।।
सियापति राम के सेवक,सदा संतो को हैं तारे।
लगा सिंदूर काया में, गदा को हाथ में धारे।।१।।
परम विद्वान रिपु हंता,असुर दल मारने वाले।
मिटाते राम द्रोही को,भजन में विध्न जो डाले।।
भजे हनुमान जी को जो,सभी संकट प्रभो टारे।
लगा सिंदूर काया में, गदा को हाथ में धारे।।२।।
जहां पर राम कीर्तन हो,वहां हनुमान जी आते।
सुनें प्रभु राम चर्चा को,कथा विश्राम पर जाते।।
अमर हैं देव कलयुग के,स्वयं को राम पर वारे।
लगा सिंदूर काया में, गदा को हाथ में धारे।।३।।
लगा सिंदूर काया में, गदा को हाथ में धारे।
हृदय सियराम की मूरत,सदा श्री राम उच्चारे।।
कवि मोहन श्रीवास्तव
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